लोकसभा चुनाव में BJP की अगुवाई वाले NDA के बहुमत में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नौ जून को शपथ लेंगे. भाजपा और एडीए के घटक दलों के सांसद उनको लोकसभा में अपना नेता चुनेंगे. इससे पहले ही एनडीए के घटक दलों ने अपनी मांगें रखनी शुरू कर दी हैं. एनडीए के दो प्रमुख दलों ने अपने-अपने राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने का अलाप शुरू कर दिया है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी और राज्य के मंत्री जेडीयू नेता विजय चौधरी ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की है. वहीं, टीडीपी के प्रमुख चंद्र बाबू नायडू भी लंबे समय से आंध्र प्रदेश के लिए यही मांग करते आ रहे हैं. आइए जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर क्या होता है विशेष राज्य का दर्जा और स्पेशल पैकेज, इसके मिलने पर राज्य को क्या-क्या फायदा होगा? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान एनडीए सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों को समाप्त कर दिया था. इन प्रावधानों के जरिए राज्य को कुछ खास शक्तियां प्राप्त थीं. इसी तरह से संविधान का अनुच्छेद 371 है. इस आर्टिकल के जरिए किसी भी राज्य के लिए विशेष प्रावधान किए जाते हैं, तो कहा जाता है कि उस राज्य को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है. साल 1969 में पहली बार पांचवें वित्त आयोग ने गाडगिल फॉर्मूले के आधार पर तीन राज्यों जम्मू-कश्मीर, असम और नगालैंड को विशेष राज्य का दर्जा दिया था. इसका आधार इन तीनों राज्यों का सामाजिक, आर्थिक और भौगोलिक पिछड़ापन था. विशेष राज्य का दर्जा देने का उद्देश्य इन राज्यों का पिछड़ापन दूर करना था.इसके अलावा राष्ट्रीय विकास परिषद की ओर से राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा देने को कुछ मापदंड भी बनाए गए थे. इनमें इस बात का ध्यान रखा जाता है कि किसी राज्य के संसाधन क्या हैं, वहां प्रति व्यक्ति आय कितनी है, राज्य की आमदनी का जरिया क्या है? जनजातीय आबादी, पहाड़ी या दुर्गम इलाका, जनसंख्या घनत्व, प्रतिकूल स्थान और अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास स्थित होने के कारण भी राज्यों को विशेष दर्जा दिया जा सकता है. इनके अलावा विशेष राज्य का दर्जा मिलने पर वहां चलने वाली केंद्रीय योजनाओं में केंद्र सरकार की भागीदारी बढ़ जाती है. राज्य के उद्योगों को कर में राहत मिलती है, जिनमें एक्साइज और कस्टम ड्यूटी भी शामिल हैं. केंद्र सरकार की ओर से इन राज्यों के लिए विशेष पैकेज तैयार किए जाते हैं, जिससे वहां विकास को गति मिल सके. इसमें केंद्र सरकार विशेष राज्य को जो धनराशि देती है, उसमें 90 फीसदी अनुदान होता है. केवल 10 फीसदी राशि ही इन राज्यों को कर्ज के रूप में दी जाती है. इस 10 फीसदी राशि पर भी ब्याज नहीं लगता है. अब अगर आंध्र प्रदेश और बिहार के लिए टीडीपी और जदयू विशेष राज्य के दर्जे पर अड़ जाते हैं तो केंद्र सरकार अपने आगामी बजट में इनके लिए विशेष पैकेज का ऐलान कर सकती है. बताया जा रहा है कि यह विशेष पैकेज एक लाख करोड़ रुपये तक का हो सकता है. हालांकि, यह राशि एकमुश्त नहीं, बल्कि साल भर में अलग-अलग किस्तों में जारी की जा सकती है.