DESH KI BAAT: मस्जिद में आस्था vs मंदिर में आस्था।

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के सपा सांसदों के साथ मस्जिद में बैठक करने पर राजनीतिक घमासान मच गया है। इस मामले को लेकर न सिर्फ भारतीय जनता पार्टी ने सवाल उठाए बल्कि मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी आपत्ति दर्ज कराई। विपक्ष के आरोपों पर अखिलेश यादव ने स्पष्ट किया आस्था लोगों को जोड़ने का काम करती है इसलिए वह मस्जिद गए। साथ ही यह आरोप लगाया कि भाजपा को जोड़ने वाले काम पसंद नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर आस्था मस्जिद में है तो मंदिर में क्यों नहीं क्योंकि विपक्ष के तमाम बड़े नेता चाहे गांधी परिवार हो चाहे अखिलेश यादव वह कभी अयोध्या में रामलला के दर्शन के लिए नहीं गए। Published by Moheka Lal