Saif Ali Khan ने हमले वाले दिन की पूरी कहानी बताई, क्या घर पर नहीं थी Kareena Kapoor, ये है सच्चाई|

बॉलीवुड एक्टर सैफ अली खान पर 16 जनवरी को चाकू से हमला हुआ था.एक अज्ञात शख्स जो चोरी के इरादे से घर में घुसा था, वो जेह के कमरे में जाकर पैसों की डिमांड करने लगा.सैफ अली खान ने एक अखबार को उस रात हुई पूरी घटना के बारे में बताया है.आइए सिलसिलेवार तरीके से उस रात की पूरी घटना के बारे में जानते हैं. उस रात क्या हुआ? करीना रात को डिनर के लिए बाहर गई थीं और मुझे सुबह काम था, इसलिए मैं घर पर ही था.जब वह लौटीं, तो हमने कुछ देर बातें कीं और सो गए.रात करीब 2 बजे, अचानक हमारा हाउसहेल्प भागता हुआ आया और घबराकर बोला – "घर में कोई घुस आया है! जेह के कमरे में एक आदमी चाकू लेकर खड़ा है और पैसे मांग रहा है!" मैं यह सुनते ही उछल पड़ा और बिना सोचे-समझे सीधे जेह के कमरे की तरफ भागा। अंदर जाकर देखा तो एक आदमी जेह के बेड के पास खड़ा था। उसके हाथ में दो लकड़ियों जैसी चीजें थीं। पहले तो मुझे लगा कि वो डंडे हैं, लेकिन ध्यान से देखने पर पता चला कि वो हेक्सा ब्लेड थे—यानी उसके दोनों हाथों में चाकू थे। उसने मास्क भी पहना हुआ था।यह पूरी स्थिति इतनी अजीब और अविश्वसनीय थी कि मुझे कुछ समझ नहीं आया और मैं झट से उस पर झपटा। मैंने उसे पकड़कर नीचे गिराया और हम दोनों में संघर्ष शुरू हो गया। इस दौरान, वह पूरी ताकत से मेरी पीठ पर वार कर रहा था। मुझे सिर्फ थप्पथपाने जैसी आवाजें सुनाई दे रही थीं। मैं समझ ही नहीं पाया कि क्या हुआ. इसके बाद जब मुझसे पूछा गया कि आप ने घर में हथियार क्यों नहीं रखा.तो इस पर सैफ अली खान ने जवाब दिया कि मेरे पिता (मंसूर अली खान पटौदी) हमेशा अपने बिस्तर के पास एक शॉटगन रखते थे राजस्थान के राजवाड़ों और बड़े घरानों के लोग मुझे मैसेज करके कह रहे हैं कि उन्हें यकीन नहीं हो रहा कि कोई यूँ घर में घुस सकता है. लेकिन मैंने हमेशा यही सोचा कि अगर घर में बंदूक होती, तो शायद हालात और बिगड़ जाते। कोई बच्चा उसे पकड़ लेता, और फिर इससे भी बड़ी दुर्घटना हो सकती थी। इसलिए मैंने मुंबई के घर में कोई हथियार नहीं रखा। हाँ, कुछ तलवारें हैं, लेकिन वो सिर्फ सजावट के लिए हैं। अब लोग कह रहे हैं कि मुझे हमेशा अपने साथ बॉडीगार्ड रखने चाहिए या फिर सोते समय भी हथियार पास रखना चाहिए। लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह ज़रूरी है। क्योंकि मुझे नहीं लगता कि मैं किसी खास खतरे में हूँ। यह घटना कोई सोची-समझी साजिश नहीं थी, बल्कि एक नाकाम डकैती का मामला लगती है। ईमानदारी से कहूं, तो उस आदमी की जिंदगी मुझसे ज्यादा बर्बाद हो चुकी है। अगर मैं दोबारा उस कमरे में जाता, तो पहले लाइट ऑन करता, फिर उसे देखकर पूछता – "पता है, मैं कौन हूँ?" (हंसते हुए) मुझे लगता है कि तब वो घबरा जाता और कहता – "ओह, गलती हो गई! गलत घर में घुस गया!" तब मैं कहता – "ठीक है, चाकू नीचे रखो और बात करते हैं।" लेकिन उस समय ऐसा हो नहीं सकता था। हालात अचानक बने और सब कुछ बहुत जल्दी हो गया।